आज सुबह सुबह पड़ोस में सत्यनारायण कथा की आरती हो रही थी,
आरती की थाली मेरे सामने आने पर,
मैंने छाँट कर जेब में से कटा फटा दस रू का नोट कोई देखे नहीं, ऐसा डाला ।
वहाँ अत्यधिक ठसाठस भीड़ थी ।
मेरे कंधे पर ठीक पीछे वाली आंटी ने थपकी मार कर मेरी ओर 500 रू का नोट बढ़ाया ।
मैंने उनसे नोट ले कर आरती में डाल दिया ।
मुझे10 रू डालने पर थोड़ी लज्जा भी आई ।
बाहर निकलते समय मैंने उन आंटी को श्रद्धा पूर्वक नमस्कार किया,
तब उन्होंने बताया कि 10 रू का नोट निकालते समय 500 का नोट मेरी ही जेब से गिरा था,
जो वे मुझे दे रही थी ।